तुम्हे
जब पहली बार महसूस किया था
अपने अस्तित्व में
तुम उतर आये थे
मेरे मन की माटी में
एक नन्हा अंकुर बनकर
मेरा कुम्हलाता जीवन
खिल उठा था फिर
तुम्हारे कोमल स्पर्श से
तुम्हारी तोतली बोली
भर देती थी
मेरी सुबह नए उजास के फूलों से
तुम्हारी हरकतें
मेरे शिथिल मन
की दवा
होने लगी थी
तुम मेरे
जीवन को एक नयी दिशा
दे रहे थे
मैं तुम्हारी माँ
और
तुम मेरा
सब कुछ हो गए थे ....
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tumhare liye mere abhijnanam....
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